Tuesday, November 11, 2008

Meri Kalam say

आज फिर ढूढता हु उसेखो गया वो मै, जाने कहा
ढूढता हु फुर्सत के पलनिकल जाते है जो अंजलि से नीर की तरह
सोचता हु फिर पैदल चालूरास्ते नहीं मिलते मंजिल की तरह
तलाश है फिर लम्बी दोपहरी कीनहीं मिलती जो फुरसत की तरह
आज फिर ढूढता हु उसेखो गया वो मै, जाने कहा